भारत मे किसान आत्महत्यायें (Farmer Suicides in India)
Hindi Abstract: आत्मघाती व्यवहार दुनिया मे एक बडी समस्या है। भारत मे आज किसान आत्महत्यायें एक भीषण समस्या बनी हुयी है। जिसके परिणामस्वरूप किसानों के गुणवत्तापुर्वक जीवन पर बुरा असर पडा हुआ है। किसानों का आत्मघती व्यवहार उनके परिवार,समाज और देश पर बुरा प्रभाव डालता है। द युनायटेड नेशन आॅन सस्टेनेबल डेव्हलपमेंट (UNCSD ) के सर्वे के अनुसार सन 1997 से 2005 तक भारत मे हर 32 वे मिनट मे एक किसान आत्महत्या कर रहा है। नॅशनल क्राईम रिकार्ड ब्युरो (NCRB) के आंकडे देखने पर पता चलता है की, 2015 तक किसानों की आत्महत्या में 42% की वृद्धी हुयी है। देश मे 2014 तक हर दिन 15 किसान आत्महत्या कर रहे थे, जो मानविय दृष्टि से देखनेपर एक सोचनीय बात सिद्ध होती है। कई अध्ययनों ने विभीन्न स्तरो और पैमानो के आधार पर किसानों के आत्महत्या का अध्ययण किया हुआ है। भारत मे कृषी संकट, बढती उत्पादन लागत, आय की कमी, कृषी ऋण, कम उत्पादकता, बाजार की विफलता और पारिवारीक असमतोल के आधार पर आत्महत्या का अध्ययण कीया हुआ है। इसमे कृषक की ऋणग्रस्तता को मुख्य कारण बताया गया है। राष्ट्रस्तर पर देखे तो यह पैमाना सच साबीत हो राहा है। भारत मे किसान आत्महत्या के कारणों मे ऋणग्रस्तता का प्रमाण 20.6% पारिवारीक समस्या 20.0% खेती सबंधित मुद्दे 17.2%, बिमारी 13.2% , और नशिले पदार्थोका सेवन 4.4% है। राज्य स्तर पर अध्ययण यह बताता है की, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगड मे क्रमशा 57%, 46% तथा 37% आत्महत्या का कारण ऋणग्रस्तता रही है। नॅशनल सैंपल सर्वे आर्गनाइजेशन (NSSO) के आंकडे बताते है की, भारत मे 2013 से 52% फार्म हाऊसों की स्थिती अत्यंत खराब अवस्था मे है।